आगामी 12 मई को श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए जाएंगे, भगवान बद्री विशाल के कपाट।
धरती पर बैकुंठ धाम कहे जाने वाले भगवान बद्री विशाल के अभिषेक के लिए नरेंद्रनगर के राजमहल में पौराणिक परंपरा अनुसार, पूजा अर्चना करने के पश्चात, गुरुवार 25 अप्रैल को, टिहरी की सांसद व महारानी राज्य लक्ष्मी शाह की अगुवाई में नगर की सुहागिन महिलाओं द्वारा पीला वस्त्र धारण कर मूसल व सिलबट्टे से तिलों का तेल पिरोया जाएगा,
इस भव्य कार्यक्रम के लिए नरेंद्रनगर स्थित राजमहल को फूल-मालाओं के साथ सजाया व संवारा गया है,
बहुत बारीकी के साथ राजमहल के परिसर की साफ सफाई की गई है।
तिलों का तेल निकालने के पश्चात, राजपुरोहित द्वारा विधि विधान पूर्वक भगवान बद्री विशाल को भोग लगाकर, तिलों का यह तेल चांदी के कलश में परिपूरित कर दिया जाएगा,
तेल से परिपूरित गाडू घड़ा को श्री डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत के पदाधिकारियों को सौंप दिया जाएगा,
इसी दिन सायं कालीन के समय गाडू घड़ा तेल कलश भव्य शोभा यात्रा हर्षोल्लास,उत्साह व वाद्य यंत्रों की ध्वनि के साथ बद्रीनाथ धाम को प्रस्थान करेगी,
श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डॉक्टर हरीश गौड़ ने बताया कि 25 अप्रैल रात्रि को गाडू घड़ा कलश शोभायात्रा श्री बद्रीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति के रेलवे रोड ऋषिकेश स्थित चेला चेतराम धर्मशाला में रात्रि विश्राम हेतु पहुंचेगी,
गांड़ू घड़ा तेल कलश शोभायात्रा शत्रुघ्न मंदिर राम झूला मुनी की रेती, डालमिया धर्मशाला श्रीनगर, डिम्मर स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर, गरुड़ गंगा-पाखी गांव, नृसिंह मंदिर जोशीमठ, बद्री पांडुकेश्वर से होते हुए गुरु शंकराचार्य गद्दी तथा 11 मई सायं काल को श्री बद्रीनाथ धाम पहुंचेगी।
12 मई को सुबह 6:00 बजे श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट तीर्थ यात्रियों के दर्शनार्थ खोल दिए जाएंगे।